Tuesday 21 February 2017

तुझसे कितनी मुहब्बत है

तुझसे कितनी मुहब्बत है कभी  कह न सकूँगा
तेरे दिए हुए जख्मो को दिल में बसा लूँगा ।
तू मेरी मेरी अमानत है  कही भी जाये
तेरे लिए अपनी हर खुसी लूटा दूँगा ।।
        
        अवधेश सोनकर

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