फिरते रहे हम जिसकी तलाश में दर बदर
ना था मालूम की वो बैठा है मेरे अंदर l
छले गए दुनिया से हम इस कदर
बरसो पत्थर को पूजते रहे भगवान् समझकर ll
ना था मालूम की वो बैठा है मेरे अंदर l
छले गए दुनिया से हम इस कदर
बरसो पत्थर को पूजते रहे भगवान् समझकर ll
अवधेश
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