प्यार मेरा कर मेरे हवाले
उसके बिन दिल मेरा कौन संभाले ।
या तो मुझे मेरे रब से मिला दे
या फिर मुझे अपने पास बुला ले ।।
शिकवा नही कोई तुझसे
गिला नहीं कोई तुझसे ।
बसा है जब तू रग रग में मेरे
तो फिर क्यों मिला नही मैं मुझसे ।।
दूर है अब मुझसे अपने सारे
जैसे दो नदी के किनारे ।
डूबने ही वाली है कश्ती मेरी मझधार में
काश देता कोई डूबते को तिनके के सहारे ।।
अवधेश सोनकर
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