अंधेरा है जिंदगी मे एक रौशनी भरी नजर चाहिए l तनहा कटता नहीं सफ़र एक हमसफ़र चाहिए l ना बसर है कोई न रहगुजर न कोई आशियाना l मिल सके मंजिल जिसमे अब वो डगर चाहिए ll अवधेश सोनकर
No comments:
Post a Comment