शाम.- ए- गम तुझसे जो डर जाते है
सब गुजर जाये तो घर जाते है .
यूँ नुमाया है तेरे कूचे मे
हम भी झुकाए हुए सर जाते है
याद करते नहीं जिस दिन तुझे हम
अपनी नजरो से उतर जाते है
वक्त रुक्सत उन्हें रुक्सत करने
हम भी ताहते नजर जाते है
ताहिर फरात
सब गुजर जाये तो घर जाते है .
यूँ नुमाया है तेरे कूचे मे
हम भी झुकाए हुए सर जाते है
याद करते नहीं जिस दिन तुझे हम
अपनी नजरो से उतर जाते है
वक्त रुक्सत उन्हें रुक्सत करने
हम भी ताहते नजर जाते है
ताहिर फरात