Thursday 30 March 2017

एहसास

वो हमसे दूरियां बनाते रहें
हम उनके करीब जाते रहे ।
वो हमसे बेरुखी करते रहें
और हम सादगी दिखाते रहें ।।
वो हम पर सितम करते रहें
हम उनसे मोहब्बत करते रहें ।
वो हमसे नफरत करते रहें
हम उनकी इबादत करते रहें ।।
हम उनसे हमेशा झुकते रहें
और वो हमको नादाँ समझते रहें।
हम उनकी यादों में बरसते रहें
वो गैरों के साथ मुस्कुराते रहें ।।

                    अवधेश सोनकर

Monday 6 March 2017

हमसफर

अंधेरा है जिंदगी मे
एक रौशनी भरी नजर चाहिए l
तनहा कटता नहीं सफ़र
एक हमसफ़र चाहिए l
ना बसर है कोई न रहगुजर
न कोई आशियाना l
मिल सके मंजिल जिसमे
अब वो डगर चाहिए ll   
              
                 अवधेश सोनकर

Thursday 2 March 2017

प्यार मेरा कर मेरे हवाले

प्यार मेरा कर मेरे हवाले
उसके बिन दिल मेरा कौन संभाले ।
या तो मुझे मेरे रब से मिला दे
या फिर मुझे अपने पास बुला ले ।।
शिकवा नही कोई तुझसे
गिला नहीं कोई तुझसे ।
बसा है जब तू रग रग में मेरे
तो फिर क्यों मिला नही मैं मुझसे ।।
दूर है अब मुझसे अपने सारे
जैसे दो नदी के किनारे ।
डूबने ही वाली है कश्ती मेरी मझधार में
काश देता कोई डूबते को तिनके के सहारे ।।

अवधेश सोनकर

चल रे मन कहीं दूर चले

चल रे मन कहीं दूर चले
जहां सिर्फ प्यार का संसार हो
ना सरहद का वार हो
ना मज़हब की दीवार हो ।
ना बिजली का करन्ट हो
ना काँटों का तार हो ।।
चल रे मन ..................
ना सियासी दांव हो
ना दुखो की बरसात हो ।
माँ का आँचल हो
बाप का प्यार हो ।।
चल रे मन ................
ना हिन्दू हो ना मुसलमान हो
जहाँ हर तरफ बस इंसान हो ।
आदमी से आदमी को प्यार हो
हर तरफ खुशियों के त्यौहार हो ।।
चल रे मन ...................
ना कोई ऊँच हो ना कोई नीच हो
ना कोई पंडित हो ना कोई अछूत हो ।
ना कोई स्वेत हो ना कोई श्याम हो
ना बात ,बात पे तकरार हो ।।
चल रे मन.............
बस चूल्हे की रोटी हो
और आम का आचार हो ।
दादी माँ की दुलार हो
और बूढ़ों की फटकार हो ।।
चल रे मन कहीं दूर चले
जहाँ सिर्फ प्यार का संसार हो

अवधेश सोनकर