Sunday 19 February 2017

हवा का एक झोंका था

हवा का एक झोंका था 
शायद तेरा प्यार ।
जो लम्हा बनकर आया
और एक पल में गुजर गया ।।
प्यार नही था दिल में

या ऐतबार न था मुझपर ।
ऐसी क्या खता हो गयी मुझसे
जो तू खुद से मुकर गया ।।
सोचता हूँ सुनाऊ किस्सा तुम्हें
हाल -ऐ - दिल का अपने ।
पर मैं तेरी बेरुखी से डर गया ।।
कह ना सका मैं तुझसे
दास्तान - ऐ -मुहब्बत अपनी ।
दर्द था जो सीने में
वो कतरा बनकर आँखों में भर गया ।। 


अवधेश सोनकर 

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